(99 स्वर्ण मुद्राए ) Short Hindi Stories with Moral Values:
नमस्कार दोस्तों, आज हम बात करेंगे एक Hindi Short Story की (with Moral Value) जिसका शीर्षक है
” 99 स्वर्ण मुद्राए ” जो की एक प्रेरणादायक और Motivational Hindi Story है, एक संतुष्टि का पाठ है जिसे आप सभी को पढ़ना चाहिए तो मुझे पूर्ण विश्वास है की ये कहानी आपको बहुत पसंद आएगी तो चलिए शुरू है।
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“ संतुष्टि (Satisfation) एक ऐसा शब्द है जिसे पाना सब के बस की बात नहीं होती है। असली ख़ुशी चाहते है तो जीवन में संतुष्टि बहुत ही जरुरी चीज है। ऐसी ही एक कहानी है…
एक बार की बात है एक खुशहाल राज्य का राजा बहुत ही परेशान रहता था। सभी ठांट-बांट, ऐशो आराम उस राजा को मिले हुए थे। हर सुख सुविधा उस राजा के सम्मुख रहती थी उसके बात भी वो क्यों परेशान रहता है ये बात उसको समझ नहीं आ रही थी।
एक बार उसने अपने सबसे विश्सनीय पात्र महामंत्री को बुलाया और अपनी समस्या सुनाई। समस्या सुनकर मंत्री कुछ सोचने लगा और राजा से कहने लगा
” हे राजन ! चलिए हम बाहर टहल के आते है “
राजा और मंत्री दोनों अपने राज्य में टहल रहे थे की अचानक राजा को एक गरीब किसान दिखाई देता है जो काफी खुश था। वह छोटे सी झोपड़ी में अपनी पत्नी और पांच साल के बच्चे के साथ रहता था। वह किसान गाना गाता , ख़ुशी-ख़ुशी खेती करता , अपने बच्चे को लाड़ प्यार करता , पत्नी से अच्छे से बात करता। भोजन में केवल प्याज, रोटी और चटनी का सेवन करता था तथा साथ में ठन्डे पानी का सेवन करता। यानी वह गरीब किसान अपनी छोटी सी गृहस्थी में काफी खुश रहता था।
राजा को ये सब देखकर ईर्ष्या होने लगी और उसने अपने मंत्री से कहा की
“हे मंत्री ! मुझे ये बताओ की ये गरीब किसान इतनी कम सुख सुविधा के बावजूद भी इतना खुश कैसे रहता है , जहाँ मुझे सारी सुख सुविधा मिल रही है , हर वक्त स्वादिष्ट भोजन मिलता है मुझे , लेकिन ये गरीब किसान तो चटनी रोटी में भी खुश रहता है , कैसे ?? “
मंत्री ने कहा की ” मुझे 30 दिन का वक्त दीजिए महाराज , मैं सबकुछ पता करके रहूँगा “
एक दिन मंत्री, रात्रि में समय पाकर 99 स्वर्ण मुद्राओ की एक पोठलीउस गरीब किसान के मुख्य दरवाजे के सामने रख देता है और वहां से चले जाता है।
जब वह किसान सवेरे उठ कर दरवाजा खोलता है तो उसे वह पोठली दिखती है। वह उस पोठली को घर में ले जाकर खोल कर देखता है तो आश्चर्यचकित हो जाता है। ख़ुशी ख़ुशी वह उन स्वर्ण मुद्राओ को गिनने लगता है , जब वह गिनता है तो पाता है की इस पोठली में केवल 99 स्वर्ण मुद्राए ही होती है !! ऐसा क्यों ?
वह सोचता है की शायद मुझे गिनने में गलती हो गई है , वह फिर से स्वर्ण मुद्राए गिनता है , लेकिन ये क्या !! ये तो फिर से 99 ही निकली… इस बात का पता जब उसकी पत्नी को लगता है तो वह भी गिनने लगती है लेकिन फिर से 99 स्वर्ण मुद्राए ही निकलती है।
अब वह किसान परेशान रहने लगता है, वह दिन रात मेहनत करने लगता है ताकि वह एक ओर स्वर्ण की मुद्रा खरीद सके।
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एक दिन पत्नी को बाजार से कुछ वस्तुए और सामान खरीदना था तो वह 2 स्वर्ण मुद्रा खर्च करके आ जाती है , जब ये बात उसके पति यानी उस किसान को पता चलती है तो वह अपनी पत्नी को चिल्लाने लगता है की
“मैं दिन रात मेहनत करके एक स्वर्ण मुद्रा कमाना चाह रहा हूँ और तुम हो की 2 मुद्रा खर्च करके आ गई !! “
ऐसा करते करते 30 दिन बीत चुके थे अब राजा और मंत्री फिर से टहलने निकले तो फिरसे उस गरीब किसान को देखते है लेकिन इस बार दृश्य कुछ ओर ही था,
अब वह किसान गाना नहीं गा रहा था, अपने बच्चे को लाड प्यार नहीं कर रहा था, खेती बाड़ी में उसका मन नहीं लगता था, अपनी पत्नी से भी ठीक से बात नहीं करता था ,हर समय कलह करता रहता था।
जब राजा ने अपने मंत्री से इसका कारण पूछा की जो किसान पहले ख़ुशी-ख़ुशी अपना जीवन बिता रहा था वह आज इतना रुष्ट कैसे है ?
तब मंत्री ने कहा की ” हे राजन ! पहले ये किसान खुश था क्योकि ये अपने जीवन में संतुष्ट था लेकिन ये अब असंतुष्ट रहने लगा है, ऐसा इसलिए क्योकि मैंने इसके दरवाजे पर स्वर्ण मुद्रा से भरी एक पोठली रख दी थी जिसमे 99 स्वर्ण मुद्रा थी। ये किसान खुश तो हुआ किन्तु उससे ज्यादा उसे इस बात का दुःख था की आखिर बची हुई एक स्वर्ण मुद्रा कहा गई ? और इस तरीके से इसका जीवन बर्बाद हो गया “
Moral Of The Story
इस कहानी से हमें ये प्रेरणा मिलती है की जीवन में जितना भी हमें मिला है उससे हमें संतुष्ट रहना चाहिए, यानी भगवान को धन्यवाद देना चाहिए की आपने मुझे जो भी दिया वो काफी है। लेकिन इसका ये मतलब कतई नहीं है की आप मेहनत करना ही छोड़ दे। जो मिला है उसमे खुश रहे और ज्यादा मेहनत करते जाए ताकि आप आगे बढ़ सके लेकिन जितना मिला है उसमे संतुष्ट भी रहे।
हो सकता है आप किसी बड़े रेस्टोरेंट में जाकर कुछ ही समय में 250-300 रूपये का पिज़्ज़ा आर्डर करके खा जाय किन्तु इस दुनिया में ऐसे भी कई लोग है जो इन 250-300 रुपये में हफ्ते भर का अपना घर-खर्चा चला लेते है तो जो भी हमें मिला है उससे संतुष्ट रहे। अपने जीवन का किसी ओर के जीवन से तुलना ना करे
तो दोस्तों कैसी लगी ये Motivational Story
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अपना बहुमूल्य समय देने के लिए आप सभी का धन्यवाद। मिलते है फिरसे एक नई प्रेरणादायक कहानी में ,
धन्यवाद
Note:- This Story I wrote in the Hindi language. I researched a lot to write this story but if you found any grammatical error please let me know in the comment box and keep Reading.
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आपकी लेखन कला कहानी को और अधिक सुन्दर बना देती है बहुत खूब