नमस्कार दोस्तों ,
तो चलिए बिना समय गवाए शुरू करते है।
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Motivational Stories in Hindi for Students
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Motivational Stories In Hindi for Students 2
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मेंढक ने स्थिति को समझने के बाद जवाब दिया की “मैं बहरा है, मुझे कुछ भी सुनाई नहीं देता है। जब तुम लोग बोल रहे थे की बाहर आने की कोशिश ना करो तब मुझे लगा की तुम लोग मुझे चिल्ला चिल्ला के बाहर आने के लिए प्रेरित कर रहे हो ”
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Motivational Stories in Hindi for Students 3
एक राज्य का राजा बहुत परेशान था और उसकी परेशानी का कारण था उसकी प्रजा का दिन ब दिन आलसी होते जाना। राजा को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था की आखिर करू तो क्या करू, फिर अचानक उसे एक युक्ति सूझी ।
सवेरे का समय था , बाजार चालू हो गया था , राहगीर खरीदी करने के लिए आने जाने लगे थे। राजा ने समय पाकर एक व्यस्ततम सड़क के बीचो बिच एक बड़ा सा पत्थर रख दिया और खुद एक पेड़ के पीछे जाकर देखने लगा।
सभी लोग आ रहे थे और निकल रहे थे। कुछ लोग उस पत्थर को उलाँघ कर निकल जाते तो कुछ लोग उसकी साइड से निकल जाते , कुछ लोग राजा को दोषी ठहराते की राजा को सूझ पड़ती या नहीं, देखो सड़क कितनी जर्जर हो गई है, ये कहके वे लोग भी आगे निकल जाते।
लेकिन कुछ समय पश्चात् एक गरीब किसान वहा से गुजर रहा था तो उसने देखा की एक बड़ा पत्थर बिच रास्ते में पड़ा हुआ है , चलो इसे हटा देता हूँ। किसान ने अपने सिर पर रखी हुई लकड़ी के बंडल को निचे उतारते हुए उस बड़े पत्थर को हटाने की नाकाम कोशिश करने लगा , बहुत कोशिश के बाद भी वह पत्थर नहीं हिला।
वह किसान कोशिश करता रहा और अंत में उस पत्थर को सड़क के पार रखकर जैसे ही अपने लकड़ी के बंडल को उठाने के लिए झुका तो उसे एक पोटली मिली जो उस पत्थर के निचे रखी थी।
जब किसान ने उस पोटली को खोला तो उसके होश उड़ गए क्योकि उसमे सोने की असरफियाँ राखी हुई थी और उसमे एक पर्ची पड़ी हुई जिसमे लिखा था की जो कोई इस पत्थर को बिच रास्ते से हटा देगा वो ही इन सोने की असरफियाँ का सच्चा हक़दार होगा।
और दरगाह पर लिखा हुआ भी क्या खूब है:
ओरों का भला करते जाओ ,
बड़े आदमी बन जाओगे
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Motivational Stories in Hindi for Students
(आलस और परिश्रम )
एक बार एक संत अपने शिष्य के साथ भारत भ्रमण पर निकले थे। चलते चलते वे दोनों एक गांव पहुंचे जहाँ पर पहुंचते बहुत शाम हो गई थी। शिष्य ने अपने संत से कहा की हे गुरूवर ! क्यों ना हम आज रात्रि इसी गांव में विश्राम करले और गुरु ने अपने शिष्य की बात को ठीक समझा।
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वे दोनों एक भले व्यक्ति के घर पहुंचे और बताया की हम दोनों गुरु-शिष्य भारत भ्रमण पर निकले है रात्रि विश्राम के लिए आपके घर रुकना चाहते है। तब उस भले मानुष ने उन दोनों को रुकने की इजाजत दी।
ध्यान से देखने पर संत ने पाया की उस व्यक्ति के पास बहुत बड़ी और चौड़ी कृषि उपयोगी जमीन खली पड़ी थी , उसके बाद भी वह व्यक्ति दिन हिन् जैसी जिंदगी जी रहा था।
जब संत ने पूछा की, “हे भले मानुष ! तुम्हारे पास इतनी सारी जमीन खाली पड़ी हुई है तो तुम इसमें खेती क्यों नहीं करते।”
पूछने पर उस व्यक्ति ने कहा की “हमारे पास एक पालतू भैंस है जिसका दूध निकालकर हम बाजार में बेचते है और जो आमदनी होती है उससे हमारे घर का खर्च निकल जाता है तो हमें और मेहनत करने की क्या जरुरत है।”
रात में जब सब सो गए थे तो गुरु ने अपने शिष्य को उठाते हुए कहा की चलो चलते है और साथ में इसकी भैंस को भी ले चलते है। जब शिष्य ने ये सुना तो वो शिष्य अपने गुरु से पूछने लगा की गुरूजी आपने हमेशा से सिखाया है की चोरी महापाप है तो आप भैंस को साथ में ले जाने के लिए क्यों कह रहे है। तब गुरु ने कहा की जितना कहता हूँ उतना ही करो।
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अब शिष्य तो शिष्य है और अपने गुरु की आज्ञा की अवहेलना भी नहीं कर सकता। वे दोनों गुरु शिष्य अपने साथ भैंस लेकर चले गए।
5 साल बाद शिष्य को अपनी गलती का पश्चाताप होता है , वह उस भले मानुष से मिलने उसके गांव पहुंच जाता है ताकि वह अपनी भूल का प्रायश्चित कर सके।
जब शिष्य उसके घर पहुँचता है तो देखता है की 5 पहले जो झोपड़ी नुमा घर था उसकी जगह एक विशालकाय घर बना हुआ था , हारो तरफ फसल लहलहा रही थी। शिष्य ने सोचा की वह भला मानुष शायद घर छोड़कर चला गया है और उसकी जगह ये कोई नगर सेठ रहने आ गया है।
लेकिन जांच पड़ताल करने पर पता चला की ये तो वही भला मनुष्य है जिसने हमें 5 साल पहले रात रुकने के लिए जगह दी थी।
शिष्य ने पूछा की हे मनुष्य तुम्हारी हालत इतनी अच्छी कैसे हो गई तब वह मनुष्य कहता है की जिस रात आप दोनों मेरे घर पर रुके थे उसी रात कोई अनजान व्यक्ति मेरी भैंस चुरा कर भाग गया , सवेरे जब हमें पता चला तो हम सभी लोग घबरा गए क्योकि वो भैंस हमारी रोजी रोटी थी। तब मुझे आपके गुरु की बात याद आई और मैं खेती करने में जुट गया , दिन रात मेहनत करने के बाद आज मेरे पास सब कुछ है जैसे जमीन-जायदात , खेती-बाड़ी , घर-बार और भी बहुत कुछ।
एक समय था जब मैं एक भैंस चोरी हो जाने पर रो रहा था लेकिन आज मेरे पास कई सारी गाय-भेंसे है। तब उस शिष्य को समझ आया की क्यों गुरूजी ने भैंस को साथ में ले जाने को कहा था।
Moral Of the Story:
इस कहानी से हमें ये प्रेरणा मिलती है की मेहनत और लगन से किया गया कार्य हमेशा फलदायी होता है।
कहते है की
“आलसी व्यक्ति को उतना ही मिलता है जितना मेहनत करने वाले छोड़ देते है “
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Motivational Stories in Hindi for Students 5
(अपनी सोयी शक्ति पहचाने )
एक मादा मुर्गी अपने 5 अंडो की देखभाल कर रही थी और दाना-पानी (भोजन) के लिए बाहर गई थी की अचानक एक बाज का अंडा कंही से आकर मादा मुर्गी के (घोंसले) घर में आकर गिर जाता है। जब मादा मुर्गी देखती है की मेरे घोसले में 5 अंडे कैसे आये। मुर्गी ने सोचा की की शायद मेरा ही होगा (लेकिन था वो बाज का अंडा )
Moral Of the Story : इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है की अपने आप को कभी भी कम नहीं आंकना चाहिए क्योकि बहुत सारे लोग अपने भाग्य और किस्मत का रोना रोकर मेहनत करने से कतरा जाते है और अंततः उनका पूरा जीवन साधारण और औसत सा बीताने लगते है।
तो दोस्तों कैसी लगी ये पांचो कहानी “{HINDI} 5 Best Motivational Stories in Hindi for Students” ,
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3.5
No words for these stories awesome
Wow, Very Nice Stories.