मेहनत का फल:
दोस्तों आज मैं आपको एक Hindi Kahani बताने जा रहा हूँ जिसका शीर्षक है “मेहनत का फल” (CHILD STORY IN HINDI) ,
आप सभी इस कहानी को ध्यान पूर्वक और अंत तक पढ़े , मुझे पूर्ण विश्वास है की ये कहानी आपको जरूर प्रेरित करेगी। तो चलिए शुरू करते है।
“रामनगर नाम का एक गांव था , जिसमे कन्हैया नाम का एक व्यक्ति अपनी धर्म पत्नी अपर्णा के साथ रहता था।
कन्हैया स्वाभाव से बहुत शांत और बहुत मेहनती व्यक्ति था। पास के एक खेत में जा कर वह दिहाड़ी मजदूरी करता था.
इस तरीके से वह पुरे दिन में पांच रुपये कमा कर अपने छोटे से परिवार का पालन पोषण करता था।
खेत में कटाई का काम चल रहा था जो की 5 दिन का ओर शेष बचा हुआ था , अब कन्हैया को ये बात शताने लगी की पांच दिन के बाद हमारा क्या होगा।
अगर काम नहीं मिलेगा तो पैसे नहीं मिलेंगे और अगर पैसे पास नहीं होंगे तो जीवन यापन बहुत मुश्किल होगा … ये सोचते सोचते वह घर तक पंहुच गया।
घर पंहुचते ही उसकी पत्नी अपर्णा ने खाना लगाया और कहने लगी की आज आपके पसंद की भिंडी की सब्जी बनाई है और दाल चावल बनाये है , जल्दी से हाथ मुँह धोकर भोजन कर लीजिए।
लेकिन कन्हैया अभी भी दुखी था.. कन्हैया को उदास देखकर उसकी पत्नी बोली की आपको क्या हुआ है जी , आज आप इतने उदास क्यों है…
यह सुनकर फिर कन्हैया ने अपनी सारी व्यथा अपनी पत्नी को बता दी।
तब अपर्णा ने कुछ सोच विचार के बाद एक युक्ति निकाली और अपने पति से साझा की ….
अपर्णा अपने पति से कहती है की आपको परेशान होने की कोई जरुरत नहीं है , हम कोई ओर काम कर लेंगे।
तब पति कन्हैया कहता है की कोनसा काम करेंगे, इस गांव में तो खेती के अलावा और कोई काम नहीं है।
तब पत्नी अपर्णा कहती है की देखिये जी गर्मी का मौसम है , पास ही में एक सड़क जाती है, जो दो गांव को जोड़ती है, जहा से काफी सारे राहगीर गुजरते है.
हम वहा सड़क किनारे अपनी एक छोटी सी दूकान लगाएंगे और आने जाने वाले मुसाफिरों को “गुड़-चना” खिलाएंगे , साथ में ठंडा ठंडा “पानी” भी पिलाएंगे।
इससे हम दो पैसे भी कमा लेंगे और सेवा कार्य भी हो जाएगा।
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यह सुनकर पति बड़ा प्रसन्न हुआ क्योकि उसे अपनी पत्नी की युक्ति बड़ी पसंद आयी। ख़ुशी ख़ुशी वह भोजन करने के बाद अपने खेत के काम पर लौट गया।
पत्नी भी अपने दैनिक कार्यो को पूरा करके बाजार चली गई, पास ही से 2 किलो भुने हुए चने ले आयी और एक कुम्हार की दूकान से 2 मिटटी के मटके ले आयी।
देखते देखते 5 दिन बीत गए, पति कन्हैया और पत्नी अपर्णा दोनों ने सड़क के उस किनारे जाकर एक विशाल बरगद के वृक्ष के निचे अपनी दूकान जमाई।
सबसे पहले टाट की एक बोरी बिछाई फिर उसके ऊपर गुड़ और चने की दो ढेरी बनाई। पत्नी पास के कुए से ठंडा पानी ले आयी।
धीरे धीरे गर्मी बढ़ने लगी, अब जो कोई राहगीर उस सड़क से निकलता वो बरगद की छाव में बैठता और कन्हैया से गूढ़ चने ले कर खाता. साथ में ठंडा पानी पीकर अपने आप को तृप्त करता।
इस तरीके से पूरा दिन बीत गया और सारे गूढ़ चने भी बिक गए , पैसा पाकर दोनों बहुत प्रसन्न हुए।
अगले दिन पत्नी बाजार से 5 किलो गूढ़ चने ले आयी और सड़क किनारे अपनी दूकान जमाई। फिर दिन ढलने तक वे 5 किलो गूढ़ चने भी ख़तम हो गए।
सारे राहगीर उन दोनों पति पत्नी के व्यवहार और सेवाकार्य से बढे प्रसन्न थे , इसी तरीके से दोनों ने अपने कमाए हुए पैसे को खर्च न करते हुए जोड़ने का निर्णय लिया।
अब तो उन्होंने एक ठेला खरीद लिया था और उसी ठेले पे अपनी दूकान लगाते थे।
धीरे धीरे उन दोनों पति पत्नी की प्रसिद्धि बढ़ती चली गई , दोनों ने खूब मेहनत करके ओर पैसे कमाए और उसी सड़क किनारे पर एक ज़मीन लेकर अपने लिए एक अच्छा घर बनाया , अब दोनों पति पत्नी के पास पैसे की कोई कमी नहीं थी , दोनों काफी धनवान बन गए थे “
तो दोस्तों इस कहानी से हमें क्या प्रेरणा मिलती है :-
शिक्षा (MORAL )
इस कहानी से हमें ये प्रेरणा मिलती है की मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है ,मेहनत करने वाले की हमेशा जीत होती है और भगवान् भी उसी की मदद करता है जो मेहनती होता है और जिसके अंदर सच्ची लगन होती है।
तो दोस्तों किसी लगी ये कहानी “CHILD STORY IN HINDI | HINDI SHORT STORY WITH MORAL” निचे Comment करके जरूर बताये.
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Note :- I write this Story in Hindi Language, and I tried My Best and Researched a lot to write this article, But if you found any Grammatical mistake in this article then please keep calm and keep support. सब्सक्राइब या फॉलो जरूर करे।
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