सरदार वल्लभ भाई पटेल (लौह पुरुष) जीवनी
Sardar Vallbh Bhai Patel Biography in Hindi: वल्लभ भाई पटेल को हम सब सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम से जानते है। ये हमारे देश के आयरन मैन (Iron Man of India) यानी लौह पुरुष कहलाते है।
इनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडीअाड में एक कृषक परिवार में हुआ था। भारत को आजादी दिलाने में दिया गया इनका योगदान कोई नहीं भूल पायेगा। सरदार जी इंडियन नेशनल कांग्रेस के चीर परिचित नेता थे।
सेकड़ो रियासतों को मिलाकर एक बिखरे भारत को जोड़ने और एक स्वतंत्र भारत बनाने का श्रेय इन्ही को जाता है इसलिए इन्हे भारत का बिस्मार्क भी कहा जाता है।
सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपनी मैट्रिकुलेशन 22 साल की उम्र में ही पूरी कर ली थी जो इन्होने स्वाध्याय यानी सेल्फ स्टडी से की थी। इसके बाद बैरिस्टर की पढाई करने के लिए घर छोड़कर इंग्लैंड गए और पूरी मेहनत और लगन से अपनी वकालत की शिक्षा पूरी की।
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लेकिन महात्मा गाँधी के विचारो से प्रभावित होकर सरदार जी के मन में देश भक्ति का ऐसा प्रेम चढ़ा की इन्होने अपनी वकालत की शिक्षा को छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में अपना कदम रख दिया।
स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका पहला योगदान खेड़ा सघर्ष था, गुजरात का खेड़ा डिवीज़न उन दिनों सूखे की चपेट में था। किसानो ने अंग्रेज सरकार से कर में कटौती के लिए गुहार लगाई किन्तु अंग्रेज सरकार ने कर में छूट देने से साफ़ इनकार कर दिया।
तब सरदार पटेल और गांधीजी ने मिलकर किसानो का नेर्तत्व किया और अंग्रेज सरकार का घोर विरोध किया इससे अंत में अंग्रेज सरकार को झुकना पड़ा और किसानो को कर में राहत दी गई। यह सरदार वल्लभ भाई पटेल की पहली जीत थी।
बारडोली सत्याग्रह की सफलता के कारण वल्लभ भाई पटेल को बारडोली का सरदार तथा बाद में वंहा की महिलाओ ने उन्हें सरदार की उपाधि से सम्मानित किया।
भारत की स्वाधीनता और भारत के एकीकरण में इनका काफी ज्यादा योगदान था।
15 अगस्त 1947 को भारत देश आजाद हुआ और स्वतंत्रता संग्राम के बाद कई युवा, वल्लभ भाई पटेल को देश के प्रधान मंत्री के रूप में देखना चाहते थे लेकिन महात्मा गाँधी जी के निर्णय के कारण वल्लभ भाई पटेल ने अपने आप को प्रधान मंत्री की रेस से खुद को दूर रखा और नेहरू जी का समर्थन किया। पटेल जी उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का कार्यभार दिया गया।
इसके बाद से ही सरदार पटेल जी और नेहरू जी के बिच के सम्बन्ध काफी तनावपूर्ण रहे।
15 दिसम्बर 1950 को भारत के लोह पुरुष का निधन मुंबई में हुआ और मुंबई में ही उनका अंतिम संस्कार किया।
इसके ठीक 41 वर्षो बाद सन 1991 में पटेल जी को भारत का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया।
सरदार पटेल के द्वारा भारत की सभी रियासतों को मिलाकर एक राष्ट्रीय भारत का निर्माण काफी साहसिक है जिसे उस समय करने का कोई और सोच भी नहीं सकता था।
भारत की स्वतंत्रता में दिए गए उनके असीम योगदान के कारन ही 2014 से उनके जन्म दिवस 31 अक्टूबर को “राष्ट्रीय एकता दिवस” के रूप मनाया जाने लगा । 31 अक्टूबर 2013 को सरदार पटेल जी की जयंती के मौके पर श्री नरेंद्र मोदी जी ने “स्टेचु ऑफ़ यूनिटी” प्रोजेक्ट की नीव राखी गयी।
बताया जा रहा है की यह प्रतिमा विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा है और इसकी लागत 2990 करोड़ बताई जा रही है। इस प्रोजेक्ट का अभी तक 70-80% तक काम पूरा हो चूका है।
“Statue Of Unity” की लम्बाई 182 मीटर है जो अमेरिका स्थित “स्टैचू ऑफ़ लिबर्टी” (93 मीटर ) से दोगुनी है।
सरदार पटेल जी सही मायने में देश के वीर सपूत थे और आज वे सभी भारतीयों के दिलो में राज करते है क्योकि स्वाधीनता की लड़ाई में दिया गया इनका योगदान काफी साहसिक और अतुलनीय है।
आईये हम सभी उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते है। ॐ शांति।
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जय हिन्द जय भारत
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4.5